दुनिया की क्या मजाल देता हमें कोई फरेब गिला शिकवा << नफरतों के शहर में चालाकिय... एक दिन भी ना निभा सकेंगे ... >> दुनिया की क्या मजाल देता हमें कोई फरेबअपनी ही आरजू के हुए हम शिकार हैं! Share on: